मेरठ :- सरकारी जमीन पर कब्जा कर कहीं अस्पताल तो कहीं व्यावसायिक कांप्लेक्स आदि के निर्माण हो चुके हैं। लेकिन प्रशासन का ध्यान इस तरफ नहीं है।अब नया मामला बेगमपुल रोड पर छीपी टैंक तिराहे के पास बने मृत्युंजय अस्पताल का सामने आया है।
यह अस्पताल सरकारी जमीन पर बना दिया गया है। अहम ये है कि इसका नक्शा भी स्वीकृत न होने की शिकायत की गई है। इस मामले में जिलाधिकारी ने जांच बैठा दी है।
ये है मामला
छीपी टैंक तिराहे पर राजकीय इंटर कालेज के पास राजस्व अभिलेखों में जेरे एहतमाम साहब बहादुर कलक्टर मेरठ के स्वामित्व (नजूल) की जमीन दर्ज है। जिसके खसरा नंबर 372 व 373 हैं।
खसरा नंबर 372 में राजकीय इंटर कालेज है तो खसरा नंबर 373 की करीब 1320 वर्ग मीटर जमीन पर शहर के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. शचींद्र शेखर द्वारा मृत्युंजय अस्पताल बनाया गया है।
तीन मंजिला इस भवन में 40 बेड का अस्पताल तैयार किया गया है। यही नहीं बिना मानचित्र स्वीकृत कराए आवासीय प्रयोजन दर्शाकर बेसमेंट सहित तीन मंजिला इमारत खड़ी कर दी गई।
कीमती है जमीन
जिस जगह मृत्युंजय अस्पताल का निर्माण कराया गया है, उस जगह का बाजार रेट एक लाख रुपये प्रति वर्ग मीटर से ज्यादा का है। ऐसे में इस जमीन की कीमत 13.20 करोड़ रुपये से ज्यादा है। आरोप यह भी हैं कि जितनी जमीन पर आवासीय प्रयोजन के लिए नक्शा स्वीकृति के लिए दिया गया था, निर्माण उससे कहीं ज्यादा जमीन पर हुआ है।
ये हैं आरोप
आरटीआई एक्टिविस्ट लोकेश खुराना ने जिलाधिकारी, एमडीए वीसी, अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व, नगर आयुक्त और तहसीलदार को पत्र लिखा है। जिसमें एक तरफ जहां नजूल की जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगाया गया है। वहीं यह भी सवाल उठाया है कि सरकारी जमीन का टाइटल कभी परिवर्तित नहीं हो सकता है, तो कैसे इस जमीन की रजिस्ट्री हो गई।
इसके साथ ही इस अस्पताल में एनबीसी 2005 के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है। मानचित्र स्वीकृत कराए बिना आवासीय प्रयोजन दर्शाकर 40 बेड का अस्पताल निर्माण करा दिया गया। अस्पताल निर्माण और संचालन के लिए संबंधित विभागों से एनओसी नहीं ली गई। इसके साथ ही अस्पताल में पार्किंग सुविधा भी उपलब्ध नहीं है।
जांच के बाद कार्रवाई होगी
मामले की शिकायत प्राप्त हुई, जिसकी जांच कराई जा रही है। जांच रिपोर्ट के बाद कार्रवाई तय की जाएगी। -अनिल ढींगरा, डीएम
हमने जमीन ओमप्रकाश जौहरी से खरीदी है। उन्होंने भी किसी और से खरीदी थी। हमारे पास सारी एनओसी हैं। नक्शा स्वीकृत है। पार्किँग की सुविधा है। जिस किसी ने भी यह शिकायत की है, वह पूरी तरह गलत है। शिकायत कर भ्रम पैदा किया जा रहा है। -डॉ. शचींद्र शेखर