Wednesday, November 27, 2019

विजुअल आर्ट में बनाये अपना भविष्य

विज़ुअल यानी दृश्य माध्यम, जिनकी अपनी भाषा होती है। विजुअल आर्ट या विज़ुअल इफैक्ट्स एक कॉम्पलेक्स प्रोफेशन क्षेत्र है। इसके लिये स्पेस्लाइज़ेशन की ज़रूरत होती है। यानी, अपने विचारों, भावों और संवेदनाओं को विभिन्न प्रयोगों के द्वारा सरलता से आकर्षक बनाकर प्रस्तुत करना। विजुअल आर्ट के अंतर्गत पेंटिंग, म्यूरल, टेक्सटाइल कला, प्रिंट मेकिंग, कमर्शियल आर्ट, इलस्ट्रेशन, एनिमेशन, टाइपोग्राफी, फोटोग्राफी, छपाई कला, पॉटरी, स्कल्पचर आते हैं। इस क्षेत्र में कामयाबी के लिये बिजनेस, कम्युनिकेशन, मार्केटिंग और इंटरपर्सनल स्किल का होना भी आवश्यक है।


करिअर के मौके
आज के दौर में विजुअल आर्ट का कोर्स करने के बाद एडवरटाइज़िंग, फोटोरियलिज़्म, वर्चुअल रियलिटी, आर्ग्युमेंट रियलिटी, प्रॉप मेकिंग, कॉस्पले और हेल्थकेयर जैसे क्षेत्रों में थ्रीडी और एनीमेशन डिज़ाइनरों के लिये ढेर सारे मौके हैं। नये डिज़ाइन तैयार करने में वर्चुअल रियलिटी बेहतरीन माध्यम है। इसे वर्चुअल एन्वायरमेंट तैयार करने की विधा माना जाता है। क्लाउड कंप्यूटिंग के ज़रिये यह बहुत आसान हो गया है। सेट डिज़ाइन करने के लिये इस प्रोफेशन के लोगों की सख्त आवश्कता होती है। डि़जिटल गेम डेवलपमेंट के लिये स्किल्ड लोगों की आवश्यकता होती है।
भारत में स्मार्टफोन मार्केट जिस रफ्तार से बढ़ रही है, उसके साथ ही गेम की दुनिया भी खासी लोकप्रिय हो रही है, इस लिहाज़ से भरपूर मौके इस कोर्स को करने के बाद मिल सकते हैं। बीएफए या बीवीए करने के बाद स्कूली स्तर के अच्छे कला शिक्षक, सरकारी संस्थानों में कलाकार और या डिज़ाइनर बन सकते हैं। पोस्ट ग्रेज़ुएशन, पीएचडी करने के उपरांत सरकारी और प्राइवेट महाविद्यालय /विश्वविद्यालयों में कला शिक्षक बन सकते हैं, जिसमें आप लेक्चरर/रीडर और प्रोफेसर तक के पदों पर आसीन हो  सकते हैं।


इन क्षेत्रों में भी तलाशें संभावनाएं
12वीं के बाद आप बैचलर ऑफ विज़ुअल आर्ट्स, बैचलर ऑफ डिज़ाइन, बैचलर ऑफ फाइन आर्ट्स कर सकते हैं। इसके अलावा आप एनीमेशन, डिजिटल कंपोज़िशन, गेम डेवलपिंग, मल्टीमीडिया में स्पेसलाइज़ेशन कर सकते हैं। विजुअल आर्टस ग्रेजुएट के तौर पर क्रिएटिव और टेक्नीकल स्किल हासिल करने के बाद भी आपको लॉजिकल, आॉब्ज़र्वेशनल और रिसर्च स्किल होना ज़रूरी है।
संस्थानों और विवि में तीन और चार वर्षीय कोर्स उपलब्ध हैं। बारहवीं पास कैंडिडेट ऐसे कोर्स में दाखिला लेकर करियर की राह में आगे बढ़ सकते हैं। प्रथम वर्ष में संस्थान में विजुअल आर्ट्स पढ़ाते हैं। इसे फाउंडेशन कोर्स कहा जाता है। इसके बाद मेरिट के आधार पर अपने विषय का तीन वर्षीय स्पेशलाइजेशन कोर्स करना होता है। इसे ही बीएफए (बैचलर इन फाइन आर्ट्स) या बीवीए (बैचलर इन विजुअल आर्ट्स) कहते हैं। नवीन प्रयोगों को सीखना हो तो दो वर्षीय पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स जिसे एमएफए (मास्टर इन फाइन आर्ट्स) या एमवीए (मास्टर इन विजुअल आर्ट्स) कहते हैं, कर सकते हैं। आप चाहें तो इस विषय में पीएचडी भी कर सकते हैं।


ये कोर्स भी हैं
ग्राफिक्स आर्ट (प्रिंट मेकिंग)
यह छपाई कला की प्राचीनतम विधि है। हम अपनी रचनात्मक कलाओं का प्रदर्शन पारंपरिक तरीके जैसे जिंक की प्लेट/लाइम स्टोन/वुड/कास्ट/लिनेन और सिल्क के साथ विभिन्न धरातलों पर उकेरकर मशीन और स्याही की सहायता से पेपरों पर प्रिंट द्वारा करते हैं। वर्तमान समय में कई कलाकारों ने इस विषय पर गैर पारंपरिक प्रयोगों के जरिए उच्च कोटि का कार्य करके इसकी प्रामाणिकता को और सिद्ध और जनोपयोगी बनाने का प्रयास किया है।


इलस्ट्रेशन आर्ट
इलस्ट्रेशन कला अर्थात रेखाचित्र, जो किसी कहानी, लेख या विचार की सजीवता प्रस्तुत करते हैं। सामान्यत: इस कला को सीखकर छात्र बच्चों की किताबों, कॉमिक्स बुक्स, पत्रिकाओं इत्यादि के साथ-साथ वर्तमान समय के सबसे रुचिपूर्ण शब्द एनिमेशन कला की ओर बढ़ते हैं। यह काफी धैर्य और समय के उपयोग की कला है, जिससे एनिमेशन फिल्मों इत्यादि में रोजगार की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इसमें इलस्ट्रेशन के साथ-साथ कंप्यूटर पर उपलब्ध एनिमेशन सॉफ्टवेयरों के उपयोग पर खास ध्यान देना होता है। इसी के अंतर्गत कार्टूनिंग कला भी  आती है।


टाइपोग्राफी आर्ट
इस कला के अंतर्गत अक्षरों की बारीकियां जैसे उनकी बनावट, विशिष्टता और शैली इत्यादि की खोज पर ध्यान दिया जाता है। इस विधि के अंतर्गत छात्र अपनी विशिष्ट लिखावट शैली और नया फॉन्ट ईजाद कर सकते हैं। इसी के अंतर्गत कैलीग्राफी कला भी  आती है।


म्यूरल आर्ट
सामान्यत: इसे दीवारों पर बनाई गई पेंटिंग के रूप में समझा जाता है। पुरानी परंपरा यानी रंगों की सहायता से दीवारों पर पेंटिंग बनाने से हटकर सोचने और क्रियान्वित करने के ट्रेंड ने इसे बहुआयामी बना दिया है। अब टाइल्स/ टेराकोटा/सीमेंट/बालू/ग्लस/प्लास्टिक/लोहे और स्टील इत्यादि माध्यमों से परमानेंट म्यूरल बनाए जाते हैं।


टेक्सटाइल आर्ट
इस आर्ट में ड्रॉइंग की गहन जानकारी के अलावा कपड़े पर अपनी कला को प्रस्तुत करने के तरीके को सिखाया जाता है। बांधनी कला अर्थात राजस्थानी शैली की साड़ियां और दुपट्टे, बनारसी साड़ियां इत्यादि इस कला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। पेंटिंग बनाने की कला की सहायता से रोज़गार पा सकते हैं।


प्रमुख संस्थान
महर्षि दयानंद विवि, रोहतक। वेबसाइट- www.mdu.ac.in
जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली। वेबसाइट- www.jmi.ac.in/ffa
डॉक्टर हरि सिंह गौर यूनिवर्सिटी, सागर। वेबसाइट-www.dhsgsu.ac.in
इंदिरा कला संगीत विवि, राजनांदगांव। वेबसाइट- www.iksv.ac.in
विश्व भारती विश्वविद्यालय, शांतिनिकेतन। वेबसाइट- www.visvabharati.ac.in