हरदोई से निशांत शुक्ला की रिपोर्ट
जिला हरदोई के ग्राम गिंग्योली में चल रही श्री राम कथा के विश्राम दिवस पर कथा व्यास अनूप ठाकुर महाराज ने रावण वध राम राज्याभिषेक का प्रसंग सुनाया महाराज श्री ने कहा जिस समय लंकेश्वर रथ पर और रामजी पैदल युद्ध के लिए
रावण रथी विरथ रघुवीरा
उस समय इन्द्र जी राम को अपना रथ प्रदान करतें हैं भगवान राम रावण का जो शिर काटते हैं वह वापस जुड़ जाता हैं राम जी इस बात से काफी परेशान होतें है तब तक रावण की नजर विभीषण पर पड़ती है रावण ने सोंचा कि मेरे भेद को केवल विभीषण हीं जानता इसलिए पहले इसको ही समाप्त करदूं फिर मैं अमर हो जाऊंगा यह सोंच विभीषण पर बाण चला दिया रामजी ने वह बाण स्वयं ले लिया और विभीषण ने रावण की नाभि में अमृत का भेद बता दिया रामजी ने सर छोड़करअमृत सुखा दिया रामजी लक्ष्मण को राजनीति सीखने के लिए भेजते लक्ष्मण जी सिरहाने खड़े होतें हैं रावण कुछ नहीं बताता हैं रामजी स्वयं नीति पूछतें है रावण कहता राघव प्रथम नीति शत्रु को कभी छोटा नहीं समझना चाहिए और बुरे काम को जितना टालदो उतना अच्छा रामजी अन्तिम शर छोड़कर कर प्रणान्त करतें हैं विभीषण जी सीता जी को रामजी को सौंपते हैं पुष्पक विमान पर बैठ कर राम लक्ष्मण सीता वापस आकर सभी से मिलते हैं शुभ मुहूर्त पर गुरूदेव वशिष्ठ ने रामजी का प्रथम तिलक किया
प्रथम तिलक वशिष्ठ मुनि कीन्हां
और कथा के विश्राम दिवस पर सभी आयोजकों एवं ग्रामवासियों ने ठाकुर महाराज को तिलक लगा माल्यार्पण कर स्वागत किया कथा को सुनने के लिए उमेश सिंह रजनेश सिंह पप्पू सिंह अजीत गामा लालाराम समेत हजारों की संख्या में श्रोतागण पंडाल में मौजूद रहें