कोरोनावायरस पर एक ग़ज़ल सैयद अली अब्बास नौगाँवी जिला अमरोहा (शायर) मोबाइल 94 57540061 हमने नहीं सोचा था एक दिन दुनिया यू रुक जाएगी , एक करो ना से दुनिया में इतनी आफ़त आएगी । कैसी हुई हैं हमसे खताऐं यह तो बता दे ऐ मालिक, यह बीमारी क्या लोगों की जान ही ले कर जाएगी।। होटल में खाना पीना और घूमना फिरना भूल गए, पहले जैसी लाइफ़ जाने कब तक लौट कर आएगी।। अब तो हटा ले यह पाबंदी घर से निकलने की या रब, वरना तबीयत घर में बैठे-बैठे ही घबराएगी।। जागते रहते हैं रातों को कोरोना के डर से ही, किसको ख़बर थी यह बीमारी सब की नींद उड़ा जाएगी । ये भी पड़ेगा फ़र्क़ हमारे घर मे ज़्यादा रहने से , घर का सारा काम मियां से बीवी अब करवाएगी। एक झलक को तरसे कोई देख के कोई ऊब गया , क़ैद से इन दो दीवानों को किस्मत कब छुड़वाए गी। लोक डाउन का पालन करना मेरे यारों तुम दिल से, ये ही एक कोशिश हम सबकी देखो जान बचाएगी।। रिज्क़ की ख़ातिर घर से निकलना मजबूरी तो है लेकिन, होगा ग़ज़ब गर कोरोना से भेंट कहीं हो जाएगी। रूखी सूखी खाकर अब तो जान बचालो ए लोगो , ज़िंदा रहे तो घी में चोरी रोटी भी मिल जाएगी। खाने काबा सुना सूना रोज़ा ए अहमद भी सुना , लगता है ए मेरे मौला अब तो कयामत आएगी। ख़ैर हो सब की दुनिया में ये करता है अब्बास दुआ, सदक़े में हसनैन के क़ुदरत हम पर करम फ़रमाएगी।