Thursday, May 14, 2020

पैकेज: प्रवासियों को मिलेगा मुफ्त अनाज, किसानों, रेहड़ी, पटरी वालों को सस्ता कर्ज















वित्त मंत्री ने आवास क्षेत्र को गति देने के वास्ते सस्ते मकानों के लिये कर्ज पर सब्सिडी सहायता योजना की अवधि एक साल बढ़ा दी। इससे 6 लाख रुपये से 18 लाख सालाना आय वाले मध्यम वर्ग के लोगों को लाभ होगा।इस पर कुल 70,000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार प्रवासी मजदूरों को मुफ्त अनाज और दाल उपलब्ध कराने के लिये 3,500 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इस योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होगी। उन्हें प्रवासी मजदूरों की पहचान करनी होगी और अनाज का वितरण करना होगा। इस योजना के दायरे में वे प्रवासी श्रमिक आएंगे जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) के अंतर्गत नहीं आते या जहां वह रह रहे हैं, उनके पास कोई राशन कार्ड नहीं है। सरकार प्रवासी मजदूरों के लाभ के लिये राशन कार्ड ‘पोर्टेबिलिटी’ को जल्द से जल्द पूरे देश में लागू करने पर भी विचार कर रही है। इसके तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के दायरे में आने वाले मजदूरों को राशन कार्ड का उपयोग अपनी सुविधा के हिसाब से किसी भी राज्य भी करने की अनुमति होगी। वित्त मंत्री ने छोटे कारोबारियों को राहत देने के लिये मुद्रा योजना के तहत 50,000 रुपये के मुद्रा-शिशु कर्ज के पर 2 प्रतिशत ब्याज सहायता देने की भी घोषणा की है। 


इसके अलावा सीतारमण ने रेहड़ी, पटरी वालों को 10,000-10,000 रुपये की कार्यशील पूंजी कर्ज उपलब्ध कराने की घोषणा की है। इस पर 5,000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। उन्होंने क्षतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (सीएएमपीए) कोष का उपयोग कर 6,000 करोड़ रुपये की लागत से रोजगार को गति देने की भी घोषणा की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को राहत देते हुये आर्थिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लियेमंगलवार को 20 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की। यह देश के सकल घरेलू उत्पाद का करीब 10 प्रतिशत है। इसमें प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत मार्च में घोषित 1.70 लाख करोड़ रुपये का पैकेज तथा रिजर्व बैंक द्वारा विभिन्न मौद्रिक नीति उपयों के जरिये 5.6 लाख करोड़ रुपये का दिया गया प्रोत्साहन शामिल हैं। पैकेज के पहले चरण में सीतारमण ने बुधवार को 5.94 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की जिसमें लघु उद्यमियों को 3 लाख करोड़ रुपये का बिना गारंटी का कर्ज सुलभ कराने की बात कही गयी। साथ ही गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और बिजली वितरण कंपनियों के लिये भी राहत उपायों का ऐलान किया गया। सरकार ने कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये 25 मार्च से तीन सप्ताह के ‘लॉकडाउन’की घोषणा की थी जिसे बाद में दो बार करके कुछ राहत देते हुए 17 मई तक बढ़ाया गया। इसके कारण आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से थम गयी और हजारों की संख्या में लोग बेरोजगार हुए। एक अनुमान के अनुसार ‘लॉकडाउन’ के कारण अप्रैल महीने में 12.2 करोड़ लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा और उपभोक्ता मांग एकदम नदारद रही।