नर हो न निराश तुम।
हालात एक दिन बदलेगा।।
जो लगे रहे दिल से हम।
सूखा चमन भी संवरेगा।।
मायूस होते चमन में जो।
जिंदगी में वो खाक जियेंगे।।
बाजुओं में जो रखते दम।
वही ये दुनिया जीत पाएंगे।।
हो कोरोना से आज युद्ध।
या फिर सरहदों पर जंग।।
जिसने दिखाई अपनी पीठ।
उसे हम न माफ कर पायेंगे।।
।।। डॉ राजकुमार उपाध्याय ।।।
एसोसिएट प्रोफेसर(विधि विभाग)
मेरठ कॉलेज मेरठ