*जमानत प्रार्थना पत्रों के निस्तारण में आ रही परेशानियों पर अधिकारियों को दिए निर्देश*
बुलंदशहर। जनपद न्यायालय में जमानत प्रार्थना पत्र के निस्तारण में आ रही परेशानियों एवं वर्चुअल सुनवाई में आ रही समस्याओं को दृष्टिगत रखते हुए जनपद न्यायाधीश द्वारा डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन बुलंदशहर द्वारा भेजे गए पत्र पर संज्ञान लेते हुए उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश का हवाला देते हुए अनेक अधिकारीगणों को समस्याओं का निस्तारण करने हेतु आदेशित किया गया है।
बता दें कि डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन बुलंदशहर के अध्यक्ष गजेंद्र रघुवंशी एवं महासचिव मनोज शर्मा द्वारा 17 मई को जमानत प्रार्थना पत्रों के निस्तारण में अधिवक्ताओं को आ रही परेशानियों से संबंधित पत्र जनपद न्यायाधीश को भेजा गया जिस पर अजय कृष्ण विश्वेश जनपद न्यायाधीश द्वारा संज्ञान लिया गया तथा जिसमें बताया गया कि इलाहाबाद में न्यायिक उच्च न्यायालय के अधीनस्थ न्यायालय/ट्रिब्यूनल केवल नए जरूरी मामलों को ही लेंगे जैसे कि धारा 164 सीआरपीसी और रिमांड के तहत ताजा जमानत, रिहाई, बयान की रिकॉर्डिंग और रिमांड। 1 या 2 न्यायिक अधिकारियों को नियुक्त नहीं किया जाएगा। ऐसे मामले बारी-बारी से / स्लॉट दर समय (जहां लागू हो)।" कैमस्कैनर सीएस स्कैन किया गया। इस आशय से नियुक्त अधिकारी गणों को निर्देशित किया गया है कि वह इस आदेश का अनुपालन करें।
सुमन तिवारी सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बुलंदशहर द्वारा बताया गया कि जनपद न्यायाधीश के आदेश अनुसार जेल में निरूद्ध विचाराधीन बंदियों का प्रकरण यदि उच्च स्तरीय समिति की परिधि में आता है तो उक्त आदेश के अनुक्रम में नियुक्त अधिकारी गण जेल से प्राप्त प्रार्थना पत्रों का निस्तारण सुनिश्चित करें। उच्च न्यायालय इलाहाबाद के पत्र अनुसार न्यायालय में विद्वान अधिवक्तागण वादीकारियों और स्टाफ विक्रेताओं तथा मुंशी वादियों का प्रवेश पूर्ण: निषेध किया गया है तथा समस्त सुनवाई वर्चुअल मोड से ही होनी है यह भी विदित है की शत-प्रतिशत अधिवक्ताओं के पास ऐसी सुविधा ने होना स्वाभाविक भी है अधिवक्तागण भी न्यायपालिका का अंग है अतः इस असुविधा को दृष्टिगत रखते हुए दस कक्षीय भवन में अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय न्याय कक्ष संख्या - 03 बुलंदशहर और अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश न्याय कक्ष संख्या -04 बुलंदशहर के न्यायालय पक्षों को अधिवक्ता संबोधन हेतु वर्चुअल मोड सुविधा युक्त करने हेतु नोडल अधिकारी (कंप्यूटर ) को निर्देशित किया जाता है।
इसलिए अधिवक्तागण दोनों कक्षों में व्यवस्थाओं की सुविधा प्राप्त कर सकेंगे। जिससे न्यायिक कार्य सुचारू रूप से अधिवक्तागणों द्वारा किया जा सके जिससे कोई समस्या का सामना न करना पड़े।