सावधान ..अगर आपके आसपास पल रही है थाई मांगुर मछली तो आप हो सकते हैं बीमार?
कुलदीप कुमार सक्सेना
कुछ कथित पत्रकारों? व अधिकारियों ?की मिलीभगत से हो रहा है थाई मांगुर मछली का पालन
बुलंदशहर ....अब हम आपको बताते हैं थाई मांगुर मछली के बारे में आखिरकार क्यों है यह हानिकारक ।थाई मांगुर मछली का वैज्ञानिक नाम क्लेरियस गेरीपाइंस है ।इसका उपयोग जानकारी के अनुसार मछली पालक अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में करते हैं। क्योंकि और मछली तो लगभग तैयार होने में 2 साल का समय लेती है, और थाई मांगुर मछली लगभग चार-पांच महीने में 3 किलो के आसपास हो जाती है। जिसका बाजार मूल्य लगभग ₹80 से लेकर ₹100 किलो की रेट में बिक जाती है। जिससे मछली पालकों की कमाई अधिक होती है।
इसके खाने से क्या क्या हो सकती है बीमारियां.....
मछली का मीट स्वास्थ्य के लिए लाभकारी बताया गया है, लेकिन आम आदमी स्वास्थ्य बनाने के चक्कर में अनजाने में अपना स्वास्थ्य खराब कर रहा हैं ।क्योंकि थाई मांगुर मछली अधिकतर फिराई ,व पकौड़ी बनाने के काम आती है ।जिसे लोग बड़े चाव से खाते हैं लेकिन यह थाई मांगुर मछली लोगों को स्वस्थ लाभ पहुंचाने की जगह शरीर को कैंसर डायबिटीज आदि कई खतरनाक बीमारियों को जन्म देती है ।लोगों को पता ही नहीं चलता की आखिर यह खतरनाक बीमारी लगी तो लगी कैसे।
पर्यावरण को नुकसान......
विदेशी थाई मांगुर के पालन से हवा भी प्रदूषित हो जाती है। जिससे वहां के निवासियों में भी कैंसर डायबिटीज आदि खतरनाक बीमारियों हो सकती हैं। जिसके संबंध में एनजीटी( राष्ट्रीय हरित क्रांति न्यायाधिकरण) ने इस संबंध में निर्देश भी जारी किए हैं ।जिसमें यह कहा गया है कि मत्स्य विभाग के अधिकारी टीम बनाकर निरीक्षण करें और जहां भी इस मछली का पालन हो रहा है उसको साथ के साथ नष्ट भी कराये।और जो भी मछलियों और मत्स्य बीज को नष्ट करने में खर्चा आता है उसे भी थाई मांगुर मछली पालन करने वालों से वसूला जाए।
ऐसा ही थाई मांगुर मछली पालन का मामला जिला बुलंदशहर के थाना खुर्जा देहात के गांव हसनगढ़ के तालाबों का है। जहां थाई मांगुर मछली का पालन लगभग 6 तालाबों में किया जा रहा है। उन तालाबों में थाई मांगुर मछली 1 किलो से लेकर लगभग 3 किलो की मौजूद है जिसकी कवरेज हमारे चैनल की टीम द्वारा की गई। जिसकी जानकारी मत्स्य विभाग की अधिकारी नीतू सिंह जी को उनके व्हाट्सएप नंबर पर वीडियो भेज कर दी गई, साथ ही हमारे संवाददाता ने मत्स्य विभाग के कार्यालय पहुंचकर मत्स्य अधिकारी नीतू सिंह व खुर्जा मत्स्य विभाग के इंस्पेक्टर गौरव कुमार को दी ।जिन्होंने उच्च अधिकारियों को अवगत कराकर पुलिस को साथ लेकर 24 घंटे में कार्यवाही करने की बात कही। अब देखना यह होगा कि मत्स्य विभाग के द्वारा 24 घंटे में कार्यवाही हो पाती है या तालाबों से मछली निकलने का किया जाएगा इंतजार ।क्योंकि इसमें कुछ कथित पत्रकार जो कभी बड़े बैनर में किया करते थे काम और आज यूट्यूब चैनल बनाकर अधिकारियों को कर रहे हैं गुमराह ।क्योंकि भारत सरकार के अनुसार किसी भी यूट्यूब चैनल को पत्रकारिता की नहीं दी गई है मान्यता ।उनकी व कुछ अधिकारियों की बताई जा रही है मिलीभगत?????........