बुलंदशहर से कुलदीप कुमार सक्सेना की रिपोर्ट
बुलंदशहर के गांव कमालपुर मैं एक अदबी शेरी निशस्त का आयोजन किया गया! जिसकी सदारत जनाब रौनक अली नंबरदार ने की तथा संचालन सैयद अली अब्बास नौगांवी ने अपने खूबसूरत अंदाज में किया! इस कार्यक्रम का शुभारंभ रोनक अली नंबरदार, ऐन मीम कौसर, राही निजामी, सैयद अली अब्बास नोगाॅंवीं, ग़ुफ़रान राशिद, लियाकत कमालपुर, फ़हीम कमलपुरी ने शमा रोशन करके किया उस के बाद सैयद अली अब्बास नोगाॅंवीं द्वारा पढ़ी गई नाते पाक से इस महफ़िल का आग़ाज़ हुआ!
इसमें बहुत अच्छे-अच्छे कलाम सुनने को मिले जिनमें से कुछ अशआर पाठकों की नज़र हैं
फहीम कमाल पुरी कहते हैं
तक़सीम मुफ़लिसों में यह दौलत किया करो
मज़लूम बेकसों से मोहब्बत किया करो
ऐन मीम कौसर कहते हैं
हुआ है शहर का माहौल इतना ज़हरीला
अब इसमें गांव की आबोहवा जरूरी है
सैयद गुफ़रान अहमद राशिद गुलावठी से कहते हैं
तमाम जिंदगी इस जिंदगी के झंझट ने
तमाम जिंदगी मुझको निढाल रखा है
सैयद अली अब्बास नोगाॅंवीं कहते हैं
जुल्म के मुकाबिल जो सर नहीं झुकाते हैं
बस वही तो दुनिया में इंक़लाब लाते हैं
डॉक्टर असलम कहते हैं
जिसने जला के घर को मेरे राख कर दिया
मुझसे वही चिराग बुझा या नहीं गया
लियाक़त कमाल पूरी कहते हैं
ख़तरे में जब से आई है दस्तार हमारी
फ़न अपना दिखा देती है तलवार हमारी
अशोक साहिब गुलावठी से कहते हैं
नफ़रतों की दासतां गंदी सियासत तक रहेगी
ये मोहब्बत ऐसी से शह है जो क़यामत तक रहेगी
डॉ सैयद निज़ामी राही कहते हैं
ना जाओ रूठ के बरसात का ये मौसम है
चले भी आओ मुलाक़ात का ये मौसम है
यह महफिल रात 1:00 बजे तक चली बाद में महफिल के कन्वीनर फ़हीम कमालपुरी ने सभी आने वाले शायरों और श्रोताओं का शुक्रिया अदा किया सभी ने कलाम सुनकर बहुत वाह वाह की और खूब तालियां बजाकर शायरों का मनोबल बढ़ाया