बुलंदशहर से कुलदीप कुमार सक्सेना की रिपोर्ट
मौक़ा था जश्ने ईदे ग़दीर का
बुलंदशहर मोहल्ला बेहलीमान ऊपर कोर्ट हसन अब्बास के मकान पर बीती रात एक महफ़िल का आयोजन किया गया! जिसकी सदारत मौलाना हसन अब्बास साहब पिहानी हरदोई ने की तथा निज़ामत अर्थात संचालन के फ़राइज़ अंजाम दिए सैयद अली अब्बास नोगाॅंवीं ने महफिल का आरंभ चाहत हुसैन और हसन अब्बास की नाते पाक से हुआ
इस महफ़िल में मेहमाने ख़ुसुसी प्रोफे़सर जामिया मिलिया दिल्ली जनाब शाने हैदर साहब तथा मेहमाने जी़वकार इरशाद अहमद शरर व अज़हर अब्बास रहे इस महफिल में पढ़े गए अशआर पाठकों की नज़र हैं
डॉ सैयद राही निजामी कहते हैं
दोनों आलम मैं हो मुमताज़ रसूले अरबी
तुम पर करता है खुदा नाज़ रसूले अरबी
इरशाद अहमद शरर एडवोकेट कहते हैं
क्या बिगाड़ेगी आंधियां मेरा
मुझ पा साया शरर हुसैन का है
सैयद अली अब्बास नोगाॅंवीं कहते हैं
ऊंचा ऊंचा दिया है अली को ग़दीर में
सबको दिखा दिया है अली को ग़दीर में
ये मेरा जानशीन है कहकर रसूल ने
मौला बना दिया है अली को ग़दीर में
नज़र अब्बास ने पढ़ा
पुकार उनको अगर मुश्किलों का हल चाहे
ना होगी हल कोई मुश्किल बशर अली के बगैर
आलम रिज़वी ने पढ़ा
जो कुछ है कायनात में सदक़ा अली का है
आला ग़दीरे ख़ुम में भी रुतबा अली का है
चाहत हुसैन ने पढ़ा
ये ख़ुम में आयते बल्लिग़ से हो गया साबित
नहीं था दिन मुकम्मल ग़दीर से पहले
इनके अलावा आरजू, क़मर अब्बास, कौसर रिजवी , शारिक़ हुसैन , हसन साखनी, अज़हर अब्बास ,प्रोफेसर शाने हैदर ने भी कलाम सुनाएं अंत में अध्यक्षता कर रहे मौलाना हसन अब्बास में बताया के ईदे ग़दीर क्यों मनाई जाती है मोहम्मद साहब अपने आखरी हज पर जब गए थे वहां पर अल्लाह का संदेश आया कि आज अपने दामाद हजरत अली को अपना जानाशीन अर्थात उत्तराधिकारी बना दीजिए वहां पर सवा लाख हाजियों के बीच में मोहम्मद साहब ने हज़रत अली को हाथ पकड़ कर ऊपर उठाया और अपने अपना उत्तराधिकारी घोषित किया महफिल नाथ 1:00 बजे तक चली और हसन अब्बास ने सभी आने वालों का शुक्रिया अदा किया