Monday, February 5, 2024

वनविभाग ने टैक्टर ट्राली को छोडने की एवज में वसूला जुर्माना 50 हजार, टाटा गाडी को छोड़ने की एवज में जुर्माना वसूला मात्र 15 हजार सूत्र क्यों???

 आनंद शर्मा जी की कलम से

पुलिस और वनविभाग कस ले कमर तो नहीं हो सकता पेडों का अवैध कटान

अगर वन विभाग की किसी अन्य अधिकारी से कराई जाए जांच तो उनको वीडियो के साथ वन विभाग खेला के सबूत देने को तैयार क्या बुलंदशहर के ईमानदार जिलाधिकारी बैठाएंगे जांच या यूं ही चलता रहेगा वन विभाग का खेला,????

बुलंदशहर से दिन प्रतिदिन अवैध पेड़ों का कटान है जारी वन विभाग की मिली भगत से????




बुलंदशहर - प्रतीत होता है कि जिला बुलंदशहर में शासन द्वारा प्रतिबंधित आम,नीम, पीपल शीशम आदि पेडों का अवैध कटान लकड़ी माफियाओं द्बारा किया जाना वनविभाग के कुछ भ्रष्ट एवं घूसखोर कर्मियों के ही निकम्मेपन का नतीजा है, उनके इस रवैए से शासन की मंशा फलीभूत होना नामुमकिन महसूस होने लगा है ! पता चला है कि शासन नीति के तहत जरूरतमंद किसानों या फिर लकड़ी कारोबारियों को ऐसे पेडों के कटान की परमिशन वनविभाग के जिम्मेदार वनकर्मी उपलब्ध नहीं कराते हैं और अवैध कटान होने का कारण भी यही है ! सूत्रों की मानें तो यदि प्रतिबंधित पेडों के कटान की परमिशन नियमानुसार जारी होने पर कटान करने वाले को तो आराम मिलेगा ही साथ ही विभाग के राजस्व को भी फायदा पहुंचेगा लेकिन वनकर्मी ऐसा नहीं होने देते, अडंगा पर अड़ंगा डाल लोगों को परेशान करते हैं और यही सबसे बड़ा कारण है कि जरूरतमंद पेडों का अवैध कटान करने पर अमादा हो जाता है, मिली जानकारी अनुसार प्रतिबंधित पेडों का अवैध कटान करने पर जहां कटान करने वाले को दिक्कतें उठानी पड़ती हैं वहीं भ्रष्ट व घूसखोर वनकर्मियों की चांदी ही चांदी है, कटान हो गया तो सुविधा शुल्क और किसी अफसरान के निर्देश पर पकड़ा तो जुर्माना की रकम बढ़ा-चढ़ाकर बताकर ठगते हैं जिसकी शिकायतें भी होती हैं लेकिन नतीजा सिफर ही निकला है ! ऐसा नहीं है कि प्रतिबंधित पेडों के अवैध कटान के लिए वनविभाग ही जिम्मेदार है पुलिस विभाग के भी भ्रष्ट कर्मी सहभागी बने हुए हैं, यदि पुलिसकर्मी ही कमर कस लें कि अवैध कटान नहीं होने देना है तो मजाल है कि लकड़ी कारोबारी या फिर माफिया अपने इस गैर कानूनी काम को अंजाम दे सकें !

     पता चला है कि बुलंदशहर की सदर रेंज में गत सप्ताह  किसी सूचना पर रेंजर सहित वनकर्मियों ने शिकारपुर बाईपास रोड पर प्रतिबंधित पेडों के हुए अवैध कटान की लकड़ियों से भरी एक टाटा गाडी पकड़ी और काफी जद्दोजहद के बाद रेंजर आफिस ले जाने में सफल रहे वहीं शायद 2 दिन बाद ही सुबह समय रेंजर और डिप्टी रेंजर ने अन्य वनकर्मियों के साथ मामन रोड पर एक नीले रंग की टैक्टर ट्राली पकड़ ली जिसमें प्रतिबंधित पेड़ के हुए अवैध कटान की लकड़ी भरी थी,इसे भी वनकर्मी रेंजर आफिस ले गए ! सूत्रों से मिली जानकारी को सही मानें तो कस्टडी में ली हुई टाटा गाडी को सोमवार की सांय काल और कस्टडी में लिए हुए टैक्टर ट्राली को उनमें भरी हुई अवैध कटान की लकड़ियों सहित वनकर्मियों द्बारा छोड़ दिया गया है, चलो छूटना तो था ही अदालत से छूटती या फिर वनविभाग के सम्बंधित जिम्मेदार अफसरों ने छोड़ी, सवाल उठता है कि मुकदमा दर्ज कर जुर्माना लगाकर छोड़ी या फिर जुर्माना अपने स्तर से ही वसूल कर छोड़ा गया, पता चला है कि कस्टडी में खडे टैक्टर ट्राली को छोड़ने की एवज में 50 हजार रुपए का जुर्माना वसूला गया है और आरोपी को बाकायदा रसीद दी गई है लेकिन टाटा गाडी को कस्टडी से आजाद करने की एवज में कितना जुर्माना वसूला गया यह रहस्य बना हुआ है, अप्रत्यक्ष रूप से जानने का प्रयास किया लेकिन जानकारी वनकर्मियों द्बारा उपलब्ध कराई नहीं गई, क्यों, अब यह तो वनकर्मी ही जाने लेकिन बहाना यही रहा कि था प्रधानमंत्री जी का प्रोग्राम है बस उसी में व्यस्त हैं !

अब सवाल उठता है कि जुर्माना वसूली की रसीद टैक्टर ट्राली वाले को दी गई तो फिर टाटा गाडी को भी कस्टडी से आजाद करने की एवज में उससे सम्बंधित आरोपी से जुर्माना तो वसूला ही गया होगा तो फिर कोई वनकर्मी बता नहीं पा रहा कि जुर्माना वसूला गया कितना ? आखिर क्यों ? 

हालांकि लकड़ी तस्करी करने वाले कहो या फिर माफियाओं में कानाफूसी जरुर है कि टाटा को छोड़ने के एवज में वनविभाग द्बारा 15000 रुपए का जुर्माना वसूला गया है,अब सवाल उठता है कि यदि ऐसा है तो जिस तरह टैक्टर ट्राली वाले को जुर्माना की रसीद दिखाने में कोई गुरेज नहीं हुआ उसी प्रकार टाटा वाले को भी नहीं होना चाहिए ! उसके इस रवैए से संदेह उठना लाजिमी है कि हो सकता है टैक्टर ट्राली से जुर्माना वसूला गया 50 हजार तो टाटा से भी इससे कम का जुर्माना नहीं वसूला गया होगा ? अब सवाल उठता है कि यदि चर्चित चर्चा के अनुसार वास्तव में ही टाटा से जुर्माना वसूला गया है 15 हजार रुपए तो क्यों ? कहीं ऐसा तो नहीं हुआ खेला कि जुर्माना वसूला गया ज्यादा और रसीद दी गई हो 15 हजार रुपए की सूत्र और बाकि धनराशि का हुआ हो बंदरबांट और ऐसा नहीं हुआ है तो टाटा से सम्बंधित आरोपी को उससे मात्र 15 हजार रुपए का जुर्माना ही वसूले जाने के पीछे आखिर संबंधित वन विभाग के जिम्मेदार अफसरों की मजबूरी रही क्या, क्या किसी विधायक, सांसद या फिर किसी दबंग व्यक्ति का रहा दबाव ????