Sunday, February 11, 2024

आम की गीली सैंठियों से भरी ट्रैक्टर ट्राली वनकर्मी ने पकड़ी लेकिन नही की कार्यवाही, क्यों ?

 आनंद शर्मा की कलम से



सूचना के बाबजूद हो रहे आम के पेडों के अवैध कटान पर नहीं पहुंचे वनकर्मी आखिर क्यों ?

अब इसे वनकर्मियों की मिलीभगत से अवैध कटान होना नहीं कहेंगे तो कहेंगे क्या ?

बुलंदशहर - सूचना मिलने के बाबजूद नहीं पहुंची बहलीमपुरा स्थित विधानसभा स्याना के विधायक के निवास के नजदीक समाधि वाले बाग के पास वन विभाग की टीम जहां हो रहा था सरकार द्बारा प्रतिबंधित हरे आम के पेडों का अवैध कटान , सवाल उठता है कि आखिर वजह रही क्या ? किसी का दवाब था या फिर मनमाफिक मिली थी घूंस ? 

सूत्रों से मिली जानकारी को सही माने तो कल सांय समय किसी के माध्यम से जिला वनाधिकारी को बहलीमपुरा के एक बाग में आम के हरे पेड़ों का अवैध कटान होने की सूचना देने के लिए फोन किया गया लेकिन जब फोन नही उठा तो उसके द्बारा रेंजर, डिप्टी रेंजर और स्टेनो को फोन पर सूचना दी गई,पता चला है कि रेंजर तो अवकाश पर थे ! स्मरण रहे कि होने वाले अवैध कटान की सूचना डिप्टी रेंजर को एक नही तीन व्यक्तियों ने एक बार नहीं कई बार बार फोन पर दी लेकिन टालमटोल का ही शायद प्रयास रहा किन्तु यही सूचना जब स्टैनो दिवाकर द्बारा डिप्टी रेंजर को दी गई तब जाकर कानों पर जूं रैंगी यानि किसी वनकर्मी को भेजने की जानकारी दी गई !

जो पता चला है उसके मुताबिक बताए गए समाधि वाले बाग के पास और हो रही प्लाटिंग वाले बाग में न जाकर वनकर्मी ने इधर उधर समय बिताया और शायद सूचना भी लीक होने का फायदा लकडी माफिया ने उठाने का प्रयास किया और फटाफट एक ट्रैक्टर ट्राली जिसमें भरीं थीं सैंठी उसको और जिस टैक्टर ट्राली में भरी थी क्रेट दोनों को मौके से हटा दिया जिनमें से सैंठी से भरी ट्रैक्टर ट्राली को मछली मार्केट इस्लामाबाद के नजदीक वनकर्मी ने पकड़ा जरुर लेकिन छोड दिया जबकि कब्जे में लेकर कार्यवाही करनी चाहिए थी और मालुमात करना था कि सैंटी भरकर लाया कहां से है लेकिन नही पूछना तक मुनासिब नहीं समझा जबकि मौके पर ही सूचना देने वाले ने वनकर्मी से कहा सैंठी गीली हैं, पेड़ कटे होंगे तभी तो सैंठी बनी पूछो इससे लाया कहां से है लेकिन वनकर्मी मात्र यह कहकर चला गया कि अंधेरा हो गया है अकेला हूं मैं,अब सुबह देखेंगे कि हो सकता है क्या ? बताते चलें कि पिछले दिनों सूचना पर ही बामुश्किल हुए अवैध कटान की लकड़ियों से भरी ट्रैक्टर ट्राली व टाटा को पकडा था जिनसे वसूला था शायद 50 व 15 हजार रुपए का जुर्माना ! सोचो अवैध कटान की सूचना देने वाले को बुराई और गाली के सिवाय मिलता है क्या जो भी जुर्माना वसूला जाता है वन विभाग के राजस्व में जमा होता है फिर वनकर्मियों द्बारा किया जाना लापरवाही समझ से परे है !

एक तरफ सरकार ने कुछ सोचकर ही कुछ किस्म के पेडों के बिना परमिशन कटान पर प्रतिबंध लगाया है जिनमें आम का पेड़ भी शामिल है लेकिन जिम्मेदार वन विभाग के कर्मी अपने दायित्व को शायद निभाने में सक्षम नहीं तभी तो हो रहा है पेडों का अवैध कटान ? खुद तो शायद लालच के वशीभूत रखते हैं आंखें बंद, किसी की सूचना पर भी कार्यवाही नहीं होती है तो वनकर्मियों पर उंगलियां तो उठेंगी ही, हां एक काम वनकर्मी काविले तारीफ करते हैं कि सूचना देने वाले का नाम बताकर लकड़ी माफियाओं से मनमुटाव जरुर करा देते हैं !