Sunday, February 25, 2024

वन विभाग के जिम्मेदार कुछ घूंसखोर कर्मियों की मिलीभगत पर होता है अवैध कटान




 

उत्तर प्रदेश हेड आनंद शर्मा की रिपोर्ट

कड़ी माफियाओं पर शिकंजा कसने में वनकर्मी नाकाम

लकड़ी मंडी में रोज बिकने आती है प्रतिबंधित पेडों की लकड़ी 

सूचना पर भी मौके पर नही पहुंचते वनकर्मी

रेंजर सहित डी एफ ओ की भुमिका भी संदिग्ध, अधिनस्थों पर नहीं कस पा रहे हैं नकेल

अवैध कटान के लिए पुलिस भी दोषी, सड़क से ही मंडी पहुंचती है लकड़ी 

बुलंदशहर - सरकार हर साल हरियाली कायम रखने के लिए पौधारोपण अभियान चलाकर अपार धन खर्च करती है लेकिन यह कोई नहीं देखता कि पिछले 5 सालों में पौधारोपण अभियान के अन्तर्गत लगे कुल पौधों में से कितने जिंदा हैं , हां कागजों में होगी जरुर खानापूर्ति मगर धरातल पर देखने को नहीं मिलेगी, ऐसा लोगों का मानना है,‌हालांकि सच उजागर हो सकता है लेकिन उसके लिए निष्पक्ष और ईमानदारी से जांच होनी चाहिए लेकिन सवाल उठता है कि क्या ऐसा होना संभव है क्योंकि जमाना घूंसखोरी का है! 

सरकार ने कुछ सोचकर ही कुछ प्रजाति के पेडों के अवैध कटान पर प्रतिबंध लगाया और इस कानून को अमलीजामा पहनाने के लिए वन विभाग को जिम्मेदारी सौंपी गई लेकिन कुछ घूंसखोर वनकर्मियों की मिलीभगत पर लकड़ी माफिया रोजाना प्रतिबंधित पेडों का अवैध कटान कर लकड़ी सड़क से वाहनों में भरकर लकड़ी मंडी पहुंचकर धड़ल्ले से बेचते हैं, हां कभी कभार किसी की सूचना पर थोड़ा बहुत जुर्माना कर खाना पूर्ति कर वनकर्मी अपनी जिम्मेदारी जरुर निभा लेते हैं! हांलांकि वनकर्मियों के इस खेल से विभाग के राजस्व को नुक्सान जरुर पहुंचता है, रेंजर सहित डीएफओ की भुमिका भी संदिग्ध ही प्रतीत होती है वो इसलिए कि सुचना मिलने पर कभी मंडी में या फिर मौके पर जाकर नही देखते कि लकड़ी माफिया किस स्तर पर सरकार द्बारा प्रतिबंधित पेडों का अवैध कटान कर कानून का उलंघन कर विभाग के राजस्व को भारी क्षति पहुंचाकर कानून की धज्जियां उड़ानें में जुटे हैं ! 

सुना तो यहां तक गया है कि मंडी में वनकर्मी या फिर अधिकारी न आने की एवज में मंडी की ओर से भरपूर नजराना सदर रेंजर आफिस के जिम्मेदार अफसरों को प्रतिमाह भेंट किया जाता है,अब खाएगा तो शरमाना तो पड़ेगा ही,ऐसी कहावत चरितार्थ है !अब इस बात में दम नजर इसलिए आता है कि जिम्मेदार अफसरों से लेकर वनकर्मी तक लकड़ी मंडी में आने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं, सवाल उठता है कि आखिर क्यों ? मजेदार बात देखिए कि अवैध कटान की सूचना देने वाले का नाम लकड़ी माफियाओं और मंडी आढ़तियों को बताने में जरा भी वनकर्मी गुरेज नहीं करते हैं,अब सोचो कि कैसे रुक पाएगा ऐसे हालातो मे प्रतिबंधित पेडों का अवैध कटान ?