Friday, March 15, 2024

घूंसखोरी के बल पर कानून को ठेंगा दिखा रहे हैं क्रेशर, कोल्हू संचालक


 आनंद शर्मा जी कलम से

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड बना मूकदर्शक

बुलंदशहर - ऐसे कानून ही क्यों बनाए जाते हैं कि जिन्हें लागू करने में सरकार विफल रहती है या फिर घूसखोर अफसर सरकार के कानून को अमलीजामा पहनाने के बजाय अपनी जेब भर अपनी आंखें बंद रखते हैं,भले ही उनके इस गैरजिम्मेदाराना रवैए से जनमानस के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़े ! कहते हैं ना कि चांदी का जूता चांद गर्म, अर्थ है कि अधिकारी घूंस लेगा तो कानून की धज्जियां उड़ाने से रोकेगा कौन ? सूत्रों के मुताबिक तहसील स्याना में गांव चितसोना अलिपुर में निखोव वाले रास्ते पर शिव मंदिर के पास संचालित क्रेशर/ कोल्हू पर नजारा देखा जा सकता है कि किस तरह से कानूनी का अनदेखा कर संचालक बेखौफ होकर कानून को ठेंगा दिखा रहे हैं जबकि प्राप्त जानकारी के अनुसार क्रेशर/ कोल्हू संचालन के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से NOC लेनी अनिवार्य होने के साथ साथ धुआं निकासी के लिए चिमनी की ऊंचाई 10 मीटर होनी चाहिए और आबादी से दूरी 500 मीटर दूरी पर ही कोल्हू/ क्रेशर स्थापित किए जा सकेंगे तथा भट्टियों से वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए समुचित व्यवस्था करनी होगी, मानकों का अनदेखा करने पर संचालक के खिलाफ बंदी व जुर्माना के साथ साथ पर्यावरण क्षतिपूर्ति की कार्यवाही करने का प्रावधान है फिर भी बेखौफ उडाई जा रहीं हैं कानून की धज्जियां, सवाल उठता है कि आखिर किसके दम पर ?

लोगों से मिली जानकारी के मुताबिक गांव में कई लोग क्षयरोग से पीड़ित हैं और भट्टियों से निकलने वाला धुआं जनमानस के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है अनेक प्रकार की बीमारी हो सकती हैं, ग्रामीण शिकायत भी कर चुके हैं लेकिन क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के जिम्मेदार अफसर आखिर किस दबाव में आकर इस विकराल समस्या से ग्रामीणों को निजात दिलाने में नाकाम दिखते हैं, इतना ही नहीं क्रेशर कोल्हू पर काम करने वाले मजदूरों में ज्यादातर बाहरी हैं जिनका ब्यौरा क्षेत्रीय थाना पुलिस को उपलब्ध कराना संचालक की जिम्मेदारी है लेकिन सूत्रों की मानें तो ऐसा नहीं किया गया है जबकि ऐसा करना भी जुर्म ही बनता है लेकिन पुलिस को इतला देने से लोग डरते हैं वो इस लिए बेवजह बुरा कोई क्यों बने अब सवाल उठता है कि यदि कोई अप्रिय घटना को अंजाम देकर बाहरी मजदूर फरार हो गया तो जिम्मेदार होगा कौन ? इसलिए पुलिस को भी जनहित में इस ओर ध्यान देकर संचालकों के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए !