आखिर प्रतिबंधित पेडों के अवैध कटान पर अंकुश न लग पाने का अहम कारण है क्या, घूंसखोरी तो नहीं ?
चर्चा आम है कि मिलेगी ठेकेदार व आढ़तियों से भरपूर मिठाई तो कहां कर पाएंगे वनकर्मी कार्यवाही
सूचना मिलने पर हरकत में आया उड़नदस्ता धरदबोचे लकड़ी माफिया
सूत्रों से मिली जानकारी
के अनुसार सदर रेंज के डिप्टी के द्वारा अपनी साख बचाने के लिए गाड़ी को मौके से लिया पकड़ आखिर करवाई क्या??
बिना पत्रकारों की सूचना के वनकर्मी नहीं करते कोई करवाई ठेकेदार को बता देते हैं पत्रकार का नाम कराते हैं दुश्मनी???
बुलंदशहर - हम नहीं सुधरेंगे की तर्ज पर लकड़ी माफिया सुधरने को तैयार नहीं लगते, अभी गत दिनों कोतवाली नगर की मामन पुलिस चौकी प्रभारी द्बारा प्रतिबंधित पेडों के अवैध कटान को मौके पर पहुंच लकड़ी माफियाओं सहित मौके से अवैध कटान की हुई लकड़ी से भरी ट्रैक्टर ट्राली को अपनी गिरफ्त में लेकर बेझिझक कार्यवाही की गई जिसको लोगों ने सराहा क्योंकि ऐसा पहली बार हुआ कि पुलिस ने बिना किसी दबाव में आए वो कार्यवाही की जो करनी चाहिए, इससे लकड़ी माफियाओं और लकड़ी मंडी में तरह तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म रहा लेकिन आज भी भटवाड़ा के जंगल में किसी बाग में बेखौफ होकर हम नहीं सुधरेंगे की तर्ज पर आम के पेडों पर आरा चला दिया गया ,जिसकी सूचना वन विभाग के डीएफओ, रैंजर और कंजिवेटर आदि को लोकेशन सहित विडियो भेजी गई , हालांकि रैंजर ने चुनाव कार्यक्रम में व्यस्त होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया लेकिन कुछ लोगों में अपराधी को सजा दिलाने का जनून होता है और हुआ भी यही वन विभाग का उड़नदस्ता की टीम भटवाड़ा के जंगल में हो रहे आम के पेडों के अवैध कटान पर पहुंची और अपनी जिम्मेदारी का कुछ तो एहसास कराया, सवाल यह नहीं कि लकड़ी माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही होगी क्या,अहम सवाल उठता है यह कि आखिर होता ही क्यों है सरकार द्बारा प्रतिबंधित पेडों का अवैध कटान, अब इसके 2 कारण हो सकते हैं पहला वनकर्मी और पुलिस अपने दायित्व को नहीं निभा पा रहे हैं अब इसके पीछे या तो दबाव पड़ता है मूकदर्शक बने रहने का या फिर हो सकती है घूंसखोरी ! है तो अटपटा लेकिन सूचना मिलने के बाबजूद वनकर्मी जब लकड़ी माफियाओं पर शिकंजा कसने में रहते हैं नाकाम और लकड़ी मंडी की निगरानी से झाड़ते हैं पल्ला तो इसके पीछे आखिर हकीकत हो सकती है क्या ?
बड़े धड़ल्ले से जब लकड़ी माफियाओं और आढ़तियों से सुनने को मिलता है कि लकड़ी कटती आई है और कटेगी, बडा अजीब लगता है लेकिन उनकी बात में दम है ! मेरा अपना अनुभव भी है और मानना भी है कि सरकार ऐसे कानून बनाती ही क्यों है कि जिनको अमलीजामा पहनाने में दिखती है नाकाम !